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राजपत्रिका : जापान से आई भारत की पहली बुलेट ट्रेन की तस्वीर, ट्रायल हुआ शुरू..

भारत की पहली बुलेट ट्रेन का हर किसी को बेसब्री से इंतजार है। इस बीच भारत की बुलेट ट्रेन को लेकर इस वक्त की बड़ी खबर सामने आई है। मुंबई से अहमदाबाद के बीच चलने वाली भारत की पहली बुलेट ट्रेन का ट्रायल हो शुरू हो गया है। इस महत्वाकांक्षी परियोजना के तहत चलने वाली बुलेट ट्रेन का परीक्षण जापान में शुरू हो चुका है. जापान भारत को रणनीतिक साझेदारी के तहत दो शिंकान्सेन ट्रेन सेट E5 और E3 सीरीज उपहार में देगा। इसकी डिलीवरी 2026 की शुरुआत में होगी।

भारत की पहली बुलेट ट्रेन की तस्वीर भी जापान से आ गई है। जापान में बुलेट ट्रेन का ट्रायल शुरू हो गया है। इसका ट्रायल कई चरणों में होगा। हर चरण में खड़ा उतरने के बाद इसे भारत लाया जाएगा। भारत पहुंचने के बाद इन ट्रेनों को देश की भौगोलिक और जलवायु परिस्थितियों के अनुसार परीक्षणों से गुजरना होगा।

भारत में दौड़ने वाली बुलेट ट्रेन 320 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ने में सक्षम होगा। इन ट्रेनों में अत्याधुनिक निरीक्षण प्रणाली मौजूद है, जो ट्रैक की स्थिति, तापमान सहनशीलता और धूल प्रतिरोध जैसी जानकारियांरिकॉर्ड करेगी। इन आंकड़ों का उपयोग भविष्य में मेक इन इंडिया के तहत अगली पीढ़ी की E10 सीरीज बुलेट ट्रेनों के निर्माण में किया जाएगा।

2016 में हुई थी योजना की शुरुआत

बता दें कि देश में बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट की शुरुआत 2016 में हुई थी। इसके लिए मुंबई-अहमदाबाद के बीच 508 किमी लंबा का ट्रेक बन रहा है। अभी मुंबई-अहमदाबाद के बीच की दूरी तय करने में 7 घंटे का समय लगता है। बुलेट ट्रेन से 2 घंटे 7 मिनट में पूरा किया जा सकेगा। नेशनल हाई स्पीड रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (NHSRCL) मुंबई और अहमदाबाद के बीच 508 किलोमीटर लंबी हाई-स्पीड रेल लाइन का निर्माण कर रहा है। इस मार्ग का 352 किलोमीटर हिस्सा गुजरात के नौ जिलों और शेष हिस्सा महाराष्ट्र के तीन जिलों से होकर गुजरेगा।

इन स्टेशनों पर रुकेगी बुलेट ट्रेन
मुंबई-अहमदाबाद हाई-स्पीड रेल कॉरिडोर में कुल 12 स्टेशन होंगे, जिनमें ठाणे, विरार, बोइसर, वापी, सूरत और वडोदरा शामिल है। यह कॉरिडोर यात्रा का समय घटाकर मात्र 2 घंटे 7 मिनट कर देगा, जो वर्तमान में लगभग 7 घंटे का है। इस परियोजना में जापान की रेल सुरक्षा और विश्वसनीयता मानकों को अपनाया जा रहा है। 2016 में भारत और जापान के बीच हुए समझौते के अनुसार, इस प्रोजेक्ट की लागत का लगभग 80% हिस्सा जापान सस्ती ब्याज दर वाले येन लोन के माध्यम से प्रदान कर रहा है। यह परियोजना केवल तेज यात्रा तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके माध्यम से देश में रोजगार के अवसर, तकनीकी कौशल, पर्यटन और व्यापार को भी बढ़ावा मिलेगा।

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