राजपत्रिका : बीडीएम अस्पताल में घायल युवक को नर्सों ने दिया इलाज, डॉक्टर फिर गायब! जनता में उबाल, कार्रवाई की मांग तेज

जांजगीर चांपा : चांपा के बीडीएम अस्पताल में लापरवाही का एक और मामला सामने आया है, जहां घायल युवक को डॉक्टर की गैरमौजूदगी में नर्सों ने इलाज दिया। पूर्व में सर्पदंश से बच्चे की मौत के बाद उठे सवालों के बावजूद डॉक्टरों के रवैये में कोई सुधार नहीं हुआ है। अब जनता और जनप्रतिनिधि खुलकर विरोध जता रहे हैं।
घायल युवक पहुंचा अस्पताल, डॉक्टर नदारद
बीती रात चांपा निवासी कृष्णा सहिस (29 वर्ष) घायल अवस्था में बीडीएम अस्पताल पहुंचे। उनके सिर से लगातार खून बह रहा था, लेकिन आपातकालीन कक्ष में कोई डॉक्टर मौजूद नहीं था। स्थिति को गंभीर देखते हुए स्टाफ नर्सों ने डॉक्टर से फोन पर संपर्क किया और इलाज शुरू किया। चार टांके लगाने के बाद उनकी स्थिति स्थिर हुई। बताया गया कि ड्यूटी डॉक्टर नवल किशोर धुर्वे भाजपा नेताओं के बार-बार फोन करने के बाद करीब 11 बजे अस्पताल पहुंचे।
लापरवाही पर सिविल सर्जन और एसडीएम ने की जांच, पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं
कुछ दिन पहले एक सर्पदंश के मामले में इलाज में देरी के कारण एक मासूम की मौत हो गई थी। इस घटना ने अस्पताल प्रशासन की कार्यप्रणाली पर बड़ा सवाल खड़ा किया। मामला तूल पकड़ने पर सिविल सर्जन एस. कुजूर और चांपा एसडीएम सुमित बघेल ने अस्पताल का निरीक्षण कर जांच शुरू की थी। उन्होंने लापरवाही की पुष्टि कर दोषियों पर कार्रवाई का आश्वासन भी दिया था, लेकिन तीन दिन बीतने के बाद भी अब तक किसी के खिलाफ कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।
स्टाफ की बेबसी और डॉक्टरों की ढीली कार्यशैली
अस्पताल के स्टाफ ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि “काम करो तो मरना, ना करो तो भी मरना” जैसी स्थिति हो गई है। स्टाफ नर्सों पर इलाज की जिम्मेदारी डाल दी गई है जबकि डॉक्टर ऑन कॉल रहकर भी समय पर नहीं पहुंचते। इससे इलाज में देरी होती है और उनकी छवि भी खराब हो रही है। डॉक्टरों की यह ढुलमुल कार्यशैली आम मरीजों के लिए खतरा बनती जा रही है।
जनता में उबाल, दोषियों पर सख्त कार्रवाई की मांग
नगरवासियों और जनप्रतिनिधियों का कहना है कि बीडीएम अस्पताल में “हम न सुधरे हैं न सुधरेंगे” वाली मानसिकता से काम हो रहा है। लगातार निरीक्षण और चेतावनियों के बावजूद कोई असर नहीं दिख रहा। लोगों का आक्रोश अब बढ़ता जा रहा है और मांग की जा रही है कि इस बार सिर्फ जांच या कागजी आश्वासन नहीं चलेगा। दोषी डॉक्टरों और स्टाफ पर तत्काल सख्त कार्रवाई की जाए ताकि भविष्य में ऐसी लापरवाही न हो और लोगों की जान बच सके ।