राजपत्रिका : 2 साल की मासूम से अनाचार करने वाले को उम्रकैद: विशेष न्यायालय ने सुनाया फैसला

जांजगीर चांपा : छत्तीसगढ़ के जांजगीर में 2 वर्षीय मासूम बच्ची के साथ अनाचार के मामले में न्यायालय ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया है विशेष न्यायालय (एफटीसी) ने दोषी पाए गए आरोपी को उसके शेष प्राकृतिक जीवनकाल तक के लिए आजीवन कारावास की सजा सुनाई है यह मामला वर्ष 2024 का है, जिसमें बच्ची से दरिंदगी के बाद जांजगीर पुलिस द्वारा त्वरित कार्रवाई करते हुए आरोपी को गिरफ्तार कर न्यायिक प्रक्रिया पूरी की गई थी ।
आरोपी के खिलाफ दर्ज हुआ था गंभीर मामला
यह घटना अक्टूबर 2024 की है जब थाना जांजगीर में 2 वर्षीय मासूम के साथ अनाचार की रिपोर्ट दर्ज हुई थी। जघन्य अपराध को गंभीरता से लेते हुए थाना प्रभारी निरीक्षक प्रवीण कुमार द्विवेदी ने तत्परता दिखाते हुए अपराध क्रमांक 802/2024 के तहत आरोपी के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 65(2) BNS और पॉक्सो एक्ट की धारा 6 के तहत केस दर्ज किया। पुलिस ने तत्काल कार्रवाई करते हुए आरोपी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया।
विशेष न्यायालय ने सुनाई सख्त सजा
मामले की सुनवाई अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश (एफटीसी), जांजगीर की अदालत में हुई। अभियोजन पक्ष की ओर से चंद्र प्रताप सिंह एवं योगेश गोपाल, अतिरिक्त लोक अभियोजकों ने पूरे मामले को मज़बूती से रखा। सबूतों और गवाहों के आधार पर अदालत ने आरोपी को दोषी मानते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई, जो शेष जीवनकाल तक लागू रहेगी।
आरोपी का पूरा विवरण
दोषी व्यक्ति की पहचान आशिक देवार उर्फ लोधो पिता राज कुमार देवार के रूप में हुई है, जो मूलतः वार्ड क्रमांक 01, इंदिरा कॉलोनी, कसडोल, बलौदा बाजार-भाटापारा का निवासी है और वर्तमान में जांजगीर के शांतिनगर क्षेत्र में रह रहा था। आरोपी की गिरफ्तारी के बाद से ही वह न्यायिक हिरासत में था।
पुलिस की तत्परता बनी सख्त फैसले की वजह
इस मामले में जांजगीर थाना प्रभारी निरीक्षक प्रवीण कुमार द्विवेदी की तत्पर कार्रवाई की सराहना की जा रही है। घटना की जानकारी मिलते ही तत्काल FIR दर्ज कर जांच शुरू की गई। वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देश में पूरी विवेचना तेजी से पूरी कर, मजबूत अभियोग पत्र न्यायालय में प्रस्तुत किया गया। यही कारण रहा कि केस में त्वरित न्याय संभव हो सका।
बच्ची को मिला न्याय, समाज को मिला संदेश
यह फैसला ना सिर्फ पीड़ित परिवार के लिए न्याय की अनुभूति है, बल्कि समाज के लिए भी एक कड़ा संदेश है कि बाल अपराधों के मामलों में अब कोई भी दोषी बच नहीं सकता। पॉक्सो एक्ट जैसे सख्त कानूनों के तहत दोषियों को अब उम्रभर की सजा दी जा रही है। यह केस न्याय व्यवस्था की तत्परता और निष्पक्षता का उदाहरण है।