रायपुर

राजपत्रिका : अरुणपति त्रिपाठी को मिली जमानत पर नहीं होगी रिहाई, सुप्रीम कोर्ट ने ईडी को लगाई फटकार

रायपुर : छत्तीसगढ़ शराब घोटाला मामले में जेल में बंद आरोपी अरुण पति त्रिपाठी को सुप्रीम कोर्ट ने शर्तों के साथ से जमानत दे दी है। साथ ही ED को फटकार लगाई है। कोर्ट ने कहा ED की शिकायत पर संज्ञान लेने का आदेश हाईकोर्ट से रद्द हो चुका है, तो आरोपी को जेल में क्यों रहना चाहिए?कोर्ट ने कहा कि PMLA की थ्योरी यह नहीं हो सकती कि व्यक्ति जेल में रहेगा ही। संज्ञान रद्द होने के बाद भी व्यक्ति जेल में है, इसे क्या कहा जाना चाहिए। हमने यह भी देखा कि आपने हमें खुद से यह सूचना भी नहीं दी। सुनवाई जस्टिस अभय एस ओक और जस्टिस भुयान की बेंच में हुई।

हालांकि, एपी त्रिपाठी के खिलाफ EOW भी जांच कर रही है, इसलिए उनका जेल से बाहर आना मुश्किल है।सुप्रीम कोर्ट ने ED को लगाई फटकार

इस दौरान बचाव पक्ष की सीनियर एडवोकेट मीनाक्षी अरोड़ा ने बेंच को यह तथ्य बताया कि प्रकरण में संज्ञान हाईकोर्ट से रद्द हो चुका है। इस के संबंध में हाईकोर्ट के आदेश की कॉपी भी पेश की गई। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने ईडी पर नाराजगी जताई।

अपीलकर्ता को एक सप्ताह के भीतर विशेष न्यायालय के समक्ष पेश होने के निर्देश दिए। साथ ही स्पेशल कोर्ट को पासपोर्ट जमा करने की शर्त सहित कड़ी शर्तों के अधीन उसे जमानत पर रिहा करने के निर्देश दिए। अपीलकर्ता को नियमित रूप से अदालती कार्यवाही में उपस्थित होने को भी कहा है।

कौन है अरुण पति त्रिपाठी ?

अरुण पति त्रिपाठी छत्तीसगढ़ सरकार के आबकारी विभाग के विशेष सचिव रहे हैं। पहले वे छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कॉर्पोरेशन लिमिटेड के एमडी भी रहे हैं। एपी त्रिपाठी इंडियन टेलीकॉम के ऑफिसर हैं, जो डेपुटेशन पर छत्तीसगढ़ में कार्यरत रहे हैं। वहीं 8 अगस्त 2024 से एपी न्यायिक अभिरक्षा में जेल बंद है।

अरुणपति त्रिपाठी के खिलाफ पूरक अभियोजन परिवाद ईडी के रायपुर स्थित विशेष न्यायालय में 5 अक्टूबर 2024 को दायर की गई। ईडी कोर्ट ने उसी दिन ही मामले पर संज्ञान ले लिया, लेकिन 7 फरवरी 2025 को हाईकोर्ट ने PMLA कोर्ट के लिए संज्ञान को रद्द कर दिया था।

क्या है छत्तीसगढ़ का शराब घोटाला

छत्तीसगढ़ शराब घोटाला मामले में ED जांच कर रही है। ED ने ACB में FIR दर्ज कराई है। दर्ज FIR में 2 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा के घोटाले की बात कही गई है। ED ने अपनी जांच में पाया कि तत्कालीन भूपेश सरकार के कार्यकाल में IAS अफसर अनिल टुटेजा, आबकारी विभाग के एमडी AP त्रिपाठी और कारोबारी अनवर ढेबर के सिंडिकेट के जरिए घोटाले को अंजाम दिया गया था।

डुप्लीकेट होलोग्राम लगाकर बेची गई शराब

ED की ओर से दर्ज कराई गई FIR की जांच ACB कर रही है। ACB से मिली जानकारी के अनुसार साल 2019 से 2022 तक सरकारी शराब दुकानों से अवैध शराब डुप्लीकेट होलोग्राम लगाकर बेची गई। इससे शासन को करोड़ों के राजस्व का नुकसान हुआ है।

2019 से 2022 के बीच चले शराब घोटाले में ED के मुताबिक ऐसे होती थी अवैध कमाई

A: डिस्टलरी संचालकों से कमीशन

2019 में डिस्टलरी संचालकों से प्रति पेटी 75 रुपए और बाद के सालों में 100 रुपए कमीशन लिया जाता था। कमीशन को देने में डिस्टलरी संचालकों को नुकसान ना हो, इसलिए नए टेंडर में शराब की कीमतों को बढ़ाया गया।
साथ ही फर्म में सामान खरीदी करने के लिए ओवर बिलिंग करने की राहत दी गई।


B: नकली होलोग्राम वाली शराब को सरकारी दुकानों से बिकवाना

डिस्टलरी मालिक से ज्यादा शराब बनवाई। नकली होलोग्राम लगाकर सरकारी दुकानों से बिक्री करवाई गई।
नकली होलोग्राम मिलने में आसानी हो, इसलिए एपी त्रिपाठी के माध्यम से होलोग्राम सप्लायर विधु गुप्ता को तैयार किया गया।
होलोग्राम के साथ ही शराब की खाली बोतल की जरूरत थी। खाली बोतल डिस्टलरी पहुंचाने की जिम्मेदारी अरविंद सिंह और उसके भतीजे अमित सिंह को दी गई। खाली बोतल पहुंचाने के अलावा अरविंद सिंह और अमित सिंह को नकली होलोग्राम वाली शराब के परिवहन की जिम्मेदारी भी मिली।
सिंडिकेट में दुकान में काम करने वाले और आबकारी अधिकारियों को शामिल करने की जिम्मेदारी एपी त्रिपाठी को सिंडिकेट के कोर ग्रुप के सदस्यों ने दी।
शराब बेचने के लिए प्रदेश के 15 जिलों को चुना गया। शराब खपाने का रिकॉर्ड सरकारी कागजों में ना चढ़ाने की नसीहत दुकान संचालकों को दी गई।
डुप्लीकेट होलोग्राम वाली शराब बिना शुल्क अदा किए दुकानों तक पहुंचाई गई।
इसकी एमआरपी सिंडिकेट के सदस्यों ने शुरुआत में प्रति पेटी 2880 रुपए रखी थी। इनकी खपत शुरू हुई, तो सिंडिकेट के सदस्यों ने इसकी कीमत 3840 रुपए कर दी। डिस्टलरी मालिकों को शराब सप्लाई करने पर शुरुआत में प्रति पेटी 560 रुपए दिया जाता था, जो बाद में 600 रुपए कर दिया गया था।
ACB को जांच के दौरान साक्ष्य मिला है कि सिंडिकेट के सदस्यों ने दुकान कर्मचारियों और आबकारी अधिकारियों की मिलीभगत से 40 लाख पेटी से अधिकारी शराब बेची है।


C: डिस्टलरीज की सप्लाई एरिया को कम/ज्यादा कर अवैध धन उगाही करना

देशी शराब को CSMCL के दुकानों से बिक्री करने के लिए डिस्टलरीज के सप्लाई एरिया को सिंडिकेट ने 8 जोन में विभाजित किया।
इन 8 जोन में हर डिस्टलरी का जोन निर्धारित होता था।
2019 में सिंडिकेट की ओर से टेंडर में नई सप्लाई जोन का निर्धारण प्रतिवर्ष कमीशन के आधार पर किया जाने लगा।
एपी त्रिपाठी ने सिंडिकेट को शराब बिक्री का जोन अनुसार विश्लेषण मुहैया कराया था, ताकि क्षेत्र को कम-ज्यादा करके पैसा वसूल किया जा सके।
इस प्रक्रिया को करके सिंडिकेट डिस्टलरी से कमीशन लेने लगा।
EOW के अधिकारियों को जांच के दौरान साक्ष्य मिले हैं कि तीन वित्तीय वर्ष में देशी शराब की सप्लाई के लिए डिस्टलरीज ने 52 करोड़ रुपए पार्ट C के तौर पर सिंडिकेट को दिया है।ॉ

Related Articles

Leave a Reply

Back to top button