राजपत्रिका : कैंसर पीड़ित मासूम बच्ची को ठीक करने के लिए रखवाया उपवास : भूख से हुई मौत

इंदौर में 3 साल की बच्ची को धार्मिक प्रथा के तहत इलाज के बजाय भूखा-प्यासा रखा गया। इस प्रथा का आखिरी उद्देश्य मौत थी।
मध्यप्रदेश : इंदौर में एक अजीब मामला सामने आया है। यहां तीन साल की एक बच्ची को उसके ही माता-पिता ने आखिरी सांस तक उपवास रखने की दीक्षा दी, जिससे उसकी मौत हो गई। उससे यह धार्मिक अनुष्ठान इसलिए करवाया गया क्योंकि उसे ब्रेन ट्यूमर था। इस घटना के बाद जैन धर्म की संथारा नाम की विवादित प्रथा एक बार फिर से चर्चा में आ गई है। इस मामले पर मध्य प्रदेश बाल अधिकार आयोग ऐक्शन लेने की तैयारी में है। आइए जानते हैं आखिर पूरा मामला क्या है।
मामला एमपी के इंदौर का है। यहां तीन साल की एक बच्ची में ब्रेन ट्यूमर होने का पता चला। बीती 10 जनवरी को उसकी मुंबई में सर्जरी हुई और वो सफल रही। इसके बाद इसी साल मार्च महीने में कैंसर फिर से उभर आया। इस मामले की जानकारी देते हुए बच्ची की मां ने बताया कि वह ठीक थी, लेकिन 15 मार्च को फिर से बीमार पड़ गई। डॉक्टरों ने बताया कि उसका ट्यूमर फिर से बन गया है। मार्च में इलाज के दौरान बच्ची के गले में जकड़न हो गई। डॉक्टरों ने बच्ची को तरल रूप में पोषण देने के लिए गले में ट्यूब लगा दी थी और कहा था कि ठीक होने के बाद इस ट्यूब को हटा दिया जाएगा।
इलाज के दौरान दंपति ने बच्ची के बारे में अपने आध्यात्मिक गुरू राजेश मुनि से सलाह ली। राजेश मुनि ने दंपति को सलाह दी कि बच्ची की पीड़ा को कम करने और उसके अगले जन्म को बेहतर बनाने के लिए ‘संथारा’ चुनें। राजेश मुनि की सलाह पर बच्ची के माता-पिता राजी हो गए। इस दौरान इंदौर में ही आध्यात्मिक गुरू के आश्रम में रात 9 बजे के बाद संथारा समारोह शरू हुआ।
अनुष्ठान शुरू होने के लगभग 40 मिनट के बाद बच्ची की मौत हो गई।
क्या है संथारा या सल्लेखना
संथारा जैन धर्म की एक प्रथा है। इस प्रथा में कोई व्यक्ति अपनी इच्छा से मरने तक खाना और पानी का त्याग कर देता है। साल 2015 में राजस्थान हाई कोर्ट ने इस प्रथा को अवैध करार दिया था। हाई कोर्ट का कहना था कि यह प्रथा जैन धर्म के लिए आवश्यक नहीं है। बाद यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया। सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान हाई कोर्ट के फैसले को पलटते इसे वैध करार दियाथा।
बच्ची की मां ने क्या कहा ?
बच्ची की मां वर्षा जैन बताती हैं कि बच्ची की हालत ख़राब रहने लगी थी और उसने खाना-पीना लगभग बंद ही कर दिया था , बच्ची के पिता पीयूष जैन ने बताया कि बच्ची का इलाज कराया गया था और इसके बाद भी ठीक नहीं होने पर जैन मुनिश्री के सुझाव पर उन्होंने बच्ची को संथारा दिलाया । वियाना का जन्म 20 नवंबर 2021 को हुआ था. उनकी मां वर्षा जैन ने बताया कि जनवरी 2025 से वियाना के सिर में दर्द रहने लगा था और उसे उल्टियां होनी शुरू हो गई. फिर डॉक्टर से दिखाने के बाद पता चला कि उसके ब्रेन में ट्यूमर है. इसके बाद मुंबई में बच्ची का ऑपरेशन हुआ और वो रिकवर हो गई ।

वर्षा जैन कहती हैं कि बाद में बच्ची की हालत और ख़राब रहने लगी और उसने खाना-पीना लगभग बंद ही कर दिया. 21 मार्च को डॉक्टर की सलाह पर उसे फूड पाइप लगवा दिया गया.
उन्होंने बताया, “21 मार्च को बच्ची को हम गुरुदेव अभिग्रहधारी डॉक्टर राजेश मुनि महाराज के पास ले गए, जहां उन्होंने कहा कि बच्ची का अंत समय नज़दीक है और उसे संथारा व्रत दिला देना चाहिए. इसके बाद रात नौ बजकर 55 मिनट पर संथारा की प्रक्रिया की गई और रात में ही 10 बजकर 5 मिनट पर बच्ची की मौत हो गई.”